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रहस्यमाई चश्मा भाग - 41

मेहुल दो चार बार श्यामचरण जी के गांव जा चुका था लेकिन वह विल्कुल शांत होकर सिर्फ अपने चालन ड्राईविंग पर ध्यान देता लेकिन पहली बार पुजारी तीरथ राज एव श्यामाचरण जी जी जिज्ञासा का उत्तर दे रहा था पुजारी तीरथ राज एव श्यामाचरण जी गांव पहुचे और कुछ देर विश्राम करने के बाद मेहुल कुमार वापस लौट गया तीरथ राज एव श्यामाचरण जी ने गांव पंचों को बुलाकर चौधरी साहब के गांव के मंदिर पुनर्निर्माण के संकल्प पर कार्य शुभारम्भ की विधिवत घोषणा की श्यामचरण जी ने महाशिवरात्रि को मंदिर के पुनर्निर्माण के कार्य के शुभारम्भ कि तिथि निर्धारित किया ।

खास बात यह थी कि जबसे मंगलम चौधरी गांव से लौट कर गए थे तभी से पूरे गांव में सकारत्मक सार्थक बदलाव गांव के युवाओं के विचारों में एव सभी वर्गों में बहुत स्प्ष्ट परिलक्षित हो रहा था ।जिज़ गांव में नत्थू के भय से कोई भी व्यक्ति परिवार कुछ भी कहने करने से भयाक्रांत रहता था मंदिर पुनर्निर्माण एव कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के निर्माण में निडर निर्भीक होकर श्रमदान सहयोग कर रहा था जिसका परिणाम यह हुआ कि गावं में नत्थू का व्याप्त भय धीरे धीरे समाप्त हो रहा था और पूरे गांव में एक मत सम्मत का समाज मंगलम चौधरी के संकल्पों के साथ एव श्यामचरण जी के पराक्रम के साथ उठ खड़ा होने लगा और पूरे गांव के साथ साथ आस पास के गांवों में भी सकारात्मक वातावरण बनने लगा नत्थू एव उसके समूह के लोंगो के सामने खड़े होने कि बात तो दूर आस पास आठ दस कोस में कोई परिवार व्यक्ति अपने परिवार में भी चर्चा तक नही कर सकता था अब वातावरण बदलाव की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था जो वर्षो से चले आ रहे!

नत्थू के आतंक एव साम्राज्य के लिए अशुभ संकेत दे रहा था सारे गांव वाले स्वंय को समूहों में बांट कर विद्यालय निर्माण एव मंदिर जीर्णोद्धार में अपनी अपनी क्षमता सामर्थ से सहयोग करते गांव में सकारात्मक सोच समझ कि बयार बह चली नत्थू के साम्राज्य की नींव हिलने लगी वह गांव में बन रहे विद्यालय एव मंदिर पुनर्निर्माण में तरह तरह के अवरोध उतपन्न प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कोशिश करता कभी उसने हिन्दू मुश्लिम को लड़ाने की पूरी कोशिश किया कभी दलित समाज को भड़काने कि कोशिश की जव नत्थू कि अप्रत्यक्ष हरकते विद्यालय एव मंदिर निर्माण में व्यवधान पहचाने लगी श्यामाचरण जी ने गांव के पंचों को पुनः एकत्र किया मंदिर के पुजारी तीरथ राज जी को बुलाया और सबसे उच्च सम्मान के साथ गांव के दलित समाज को आमंत्रित किया श्यामाचरण झा जी बहुत विद्वान एव सूझ बूझ के व्यक्तित्व थे!

उन्हें अच्छी तरह पता था कि नत्थू के कारनामो से गांव के विकास के वर्तमान एव स्वर्णिम भविष्य पर प्रभाव ही नही पड़ेगा बल्कि गांव का वातावरण और भी दूषित और विषाक्त हो जाएगा अतः उन्होंने गांव के दलित समाज को ही गांव के मंदिर पुनर्निर्माण के लिए सहयोग देने का निवेदन किया श्यामाचरण जी ने बड़ी विनम्रता से पंचों के सामने गांव के दलित समाज को सम्बोधित करते हुए कहा #ईश्वर के द्वारा सृष्टि कि रचना कि जाती है वह किसी को ऊंच नीच जाति पाँति विभक्त नही करता वह तो प्राण आत्मा में स्वंय का अंश देकर शरीर प्रदान कर देता है और अपनी ही संरचना ब्रह्मांड में छोड़ देता है!

यह तो मानव समाज कही स्वयं के अहम कि संतुष्टि के लिए अपने मिथ्या अभिमान में एक दूसरे को ऊंचा नीच के वर्ग में स्वंव ही विभक्त कर लेता है ईश्वर ने तो हर शरीर को धारण किया है मत्स्य ,कक्षप ,वाराह,नरसिंह ,वामन ,परशुराम, राम ,कृष्ण ,महाबीर ,बुद्ध गुरुनानक भगवान महाबीर बुद्ध और गुरुनानक ईश्वर के कलयुग सत्य है तो मत्स्य कक्षप वाराह नर्सिंग वामन राम कृष्ण युगों युगों से उनकी सत्यता के शाश्वत साक्ष्य सत्य है सबसे पावन अवतार वाराह ही कहा जाय तो अतिश्योक्ति नही होगी यदि मत्स्य अवतार सृष्टि रक्षा के लिए था तो कक्षप दानवीय एव दैवी शक्तियों के संतुलन समन्वय के लिए और वाराह तो ब्रह्मांड कि रक्षा के लिए ही था क्यूंकि ब्रह्मांड सत्ता केंद पृथ्वी की रक्षा के लिए ही ईश्वर का वाराह अवतरण हुआ था ईश्वर कि दृष्टि में प्राण प्राणि महत्वपूर्ण है!

जारी है

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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:13 AM

V nice part

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Gunjan Kamal

16-Aug-2023 12:56 PM

👏👌🙏🏻

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